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कर्क लग्न और राशि के जातकों के मेहेनत और भाग्य का संबंध

भाग्य निर्माण की मुख्य कुंजी परिश्रम है। जितना अधिक परिश्रम किया जाएगा, उतना ही भाग्य का निर्माण बेहतर होगा। लेकिन अगर नियम, अनुशासन और ईश्वर द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर परिश्रम करके भाग्य का निर्माण किया जाए, तो उस भाग्य की नींव भी मजबूत और सुंदर होती है। 
                       ज्योतिष शास्त्र में परिश्रम का विचार तीसरे घर से और भाग्य का विचार नौवें घर से किया जाता है। कर्क लग्न या राशि के संदर्भ में, परिश्रम के घर में कन्या राशि और भाग्य के घर में मीन राशि स्थित होती है। 
                   कन्या राशि कालपुरुष की कुंडली के छठे घर की राशि है और मीन राशि बारहवें घर की राशि है। कन्या राशि से कालपुरुष की रोग, ऋण, शत्रु या विभिन्न समस्याओं का विचार किया जाता है और मीन राशि से कालपुरुष के खर्च का विचार किया जाता है। 
               कालपुरुष की समस्याएं और खर्च जैसी नकारात्मक दो राशियां कर्क राशि के परिश्रम और भाग्य के घर में स्थित होने के कारण, इन दोनों घरों को लेकर कर्क लग्न या राशि के जातकों को संघर्ष करना पड़ता है। क्योंकि कालपुरुष की कुंडली का प्रभाव किसी भी कुंडली में देखा जा सकता है। कालपुरुष की कुंडली के बिना किसी कुंडली का विश्लेषण पूर्ण नहीं होता।
                  कर्क लग्न या राशि के तीसरे घर में चूंकि कालपुरुष के छठे घर की कन्या राशि स्थित है, इसलिए कर्क लग्न या राशि के तीसरे घर के विषयों से समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यानी तीसरे घर के विषयों जैसे परिश्रम, छोटे भाई-बहन, पड़ोसी, लेखन कार्य, छोटी यात्राओं आदि से सामंजस्य बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। 
            नौवें घर में कालपुरुष की मीन राशि होने के कारण, नौवें घर के विषयों का अपव्यय या खर्च दिखाई देता है। यानी धर्म, शिक्षा और ज्ञान का अपव्यय। लेकिन अगर जातक इन दोनों घरों के प्रति निश्चित अनुशासन में रहते हैं, तो इन घरों के प्रतिकूल प्रभावों के बजाय अनुकूल प्रभाव मिलते हैं। 
                 अगर इन घरों में शुभ ग्रह या कुंडली के अन्य शुभ घरों की संयु‌क्ति हो, तो अशुभ प्रभाव कम होकर शुभ प्रभाव बढ़ जाता है और अशुभ ग्रहों या अशुभ भावों की संयु‌क्ति होने पर अशुभ फल बढ़ जाते हैं। 
                कालपुरुष की कुंडली के प्रभाव के कारण ही कर्क लग्न या राशि के परिश्रम और भाग्य निर्माण में समस्याएं उत्पन्न होती हैं, अगर जातक अपने तीसरे घर के विषयों, यानी परिश्रम, छोटे भाई-बहन, पड़ोसियों, लेखन कार्य या छोटी यात्राओं में अनुशासन का पालन नहीं करते। 
              यदि कर्क लग्न या राशि के जातक निश्चित अनुशासन के साथ काम करते हैं, व्यवस्थित रूप से एक काम को पूरा कर दूसरा काम करते हैं, तो वे छोटे भाई-बहन, पड़ोसी आदि के साथ संबंध बेहतर रख सकेंगे। लेखन कार्य में भी कोई समस्या नहीं होगी। नजदीकी यात्रा में भी कोई परेशानी नहीं होगी। उल्टे इन विषयों से लाभ प्राप्त होगा। साथ ही नौवें घर या भाग्य का व्यय बंद होकर कर्क लग्न या राशि का भाग्य प्रखर हो जाएगा।
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