किसी भी कुंडली में संतान संबंधी मामलों की समीक्षा उस कुंडली धारक की पंचम भाव से की जाती है। पंचम भाव में स्थित ग्रह, पंचम भाव, पंचम भाव के स्वामी ग्रह और संतान कारक ग्रह देवगुरु बृहस्पति के प्रभाव पर निर्भर करता है कि जातक का संतान भाग्य कैसा होगा।
यदि पंचम भाव, पंचम भाव के स्वामी ग्रह और गुरु शुभ प्रभाव मे हों, तो जातक का संतान भाग्य शुभ होता है। यदि ये ग्रह अशुभ प्रभाव में हों, तो संतान भाग्य शुभ नहीं होता।
उपरोक्त विषयों के अलावा एक महत्वपूर्ण विषय की भी समीक्षा करनी होती है, और वह है - कालपुरुष की कुंडली। हम जानते हैं कि किसी भी कुंडली की समीक्षा करते समय कालपुरुष की कुंडली की समीक्षा विशेष आवश्यकता होती है। कालपुरुष की कुंडली की समीक्षा के बिना किसी भी कुंडली की समीक्षा कभी पूर्ण नहीं होती।
वृष लग्न या राशि में संतान संबंधी भाव का राशि कन्या राशि होती है। इसी राशि से कालपुरुष की कुंडली के रोग, ऋण और शत्रु या कालपुरुष की विभिन्न समस्याओं की समीक्षा की जाती है।
कालपुरुष की कुंडली की नकारात्मक राशि जब वृष लग्न या राशि के पंचम भाव में या संतान के भाव में होती है, तो स्वाभाविक रूप से वृष लग्न या राशि के जातक को पंचम भाव संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। संतान की समस्याएँ, संतानहीनता जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, यदि जातक अपने पंचम भाव में अनुशासन का पालन नहीं करता है। अर्थात् कालपुरुष की कुंडली का छठा भाव जिस भी कुंडली के किसी भी भाव में स्थित हो, वह भाव उस कुंडली धारक के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
ईश्वर ने वृष लग्न या राशि के पंचम भाव को चुनौतीपूर्ण बनाया है। और चुनौती उस क्षेत्र में आती है जहाँ विशेष प्राप्ति की उम्मीद होती है। जहाँ चुनौती नहीं होती, वहाँ से विशेष आशा भी नहीं की जा सकती।
किसी भी चुनौती पर विजय प्राप्त करने के लिए नियम और अनुशासन के अनुसार कठोर परिश्रम करना पड़ता है। यदि निर्दिष्ट अनुशासन का पालन कर परिश्रम किया जाए, तो सफलता निश्चित रूप से जीवन में आती है। अनुशासन के पालन में सबसे पहले हमें साफ-सफाई को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि अनुशासन को साफ-सफाई के माध्यम से ही निभाया जा सकता है। अनुशासन का मतलब है समय पर काम करना, एक काम पूरा करने के बाद दूसरा काम शुरू करना, और सबसे महत्वपूर्ण बात, ईश्वर द्वारा प्रदत्त धर्म के साथ कर्म करना।
साथ ही, अनावश्यक सामान को घर और कार्यस्थल से दूर रखना चाहिए। दरअसल, अनावश्यक या नष्ट सामान नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इसका प्रभाव हमारे मानसिकता पर पड़ता है। अगर रोज नष्ट सामान हमारे सामने होते हैं या हम उन्हें देखते हैं, तो यह हमारे मानसिकता को नष्ट कर देता है। इसके परिणामस्वरूप कर्म नष्ट होता है और जीवन में विभिन्न समस्याएँ आती हैं।
इसलिए, वृष लग्न या राशि के जातक अनुशासन के माध्यम से परिश्रम करें। आपकी संतान संबंधी सभी समस्याएँ समाप्त होंगी और संतान के सहयोग से जीवन में सफलता प्राप्त होगी।
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