किसी भी लग्न या राशि के दूसरे भाव से धन, परिवार, रिश्तेदार, हमारा भोजन और हमारी वाणी का आकलन किया जाता है। वृश्चिक लग्न और राशि के दूसरे भाव में धनु राशि स्थित होती है, जिससे कालपुरुष की कुंडली में धर्म, भाग्य, पिता और उच्च शिक्षा का विचार किया जाता है।
वृश्चिक लग्न या राशि के लिए दूसरा भाव बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यहाँ कालपुरुष के भाग्य के भाव के समान महत्वपूर्ण भाव स्थित है। इसका अर्थ यह है कि इस राशि के जातकों का दूसरा भाव उनके भाग्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
दूसरे भाव से जुड़े मुद्दों, जैसे- धन से जुड़े कार्य, बैंकिंग क्षेत्र के काम, CSC सेंटर की स्थापना, पारिवारिक व्यवसाय, रिश्तेदारों से जुड़े काम, खाने-पीने से जुड़े व्यवसाय या ऐसे काम, जहां वाणी का प्रयोग करना आवश्यक है, आदि कार्यों में वृश्चिक लग्न या राशि के जातक सफलता प्राप्त कर सकते हैं और परिवारिक जीवन में भी सुधार कर सकते हैं।
लेकिन ये सफलता तभी प्राप्त होगी, जब वे अपने कार्यक्षेत्र में धनु राशि के स्वामी ग्रह गुरु बृहस्पति के गुणों का पालन करेंगे। गुरु बृहस्पति धर्म, ज्ञान, नैतिकता और उच्च शिक्षा के कारक हैं। अगर वृश्चिक लग्न या राशि के जातक अपने दूसरे भाव के कार्यों में धर्म, नैतिकता और शिक्षा का समावेश करेंगे, तो वे अपने कार्यों से भाग्य का निर्माण कर सकते हैं।
धन संचय, पारिवारिक मामलों, रिश्तेदारों के साथ संबंध, खाने-पीने के कार्य, और वाणी का सही उपयोग करते समय जितना अधिक वे धर्म, नैतिकता, अनुशासन और स्वच्छता बनाए रखेंगे, उतना ही वे अपने दूसरे भाव के कार्यों से भाग्य का निर्माण कर पाएंगे। इसके अलावा, गुरु के गुणों का पालन करने से वे अपने दूसरे भाव और विपरीत आठवें भाव के बीच संतुलन बना पाएंगे, जिससे दूसरे भाव के गुणों को संरक्षित और विकसित किया जा सकता है।
इसलिए, वृश्चिक लग्न या राशि के जातक, आप अपने दूसरे भाव के कार्यों में सदैव गुरु बृहस्पति के गुणों का पालन करें, और आप अपने धन और परिवार के साथ सुखी जीवन व्यतीत करेंगे।
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