तुला लग्न या राशि का तीसरा घर धनु राशि है। इसी राशि से उस लग्न या राशि के साहस, पराक्रम, छोटे भाई-बहन, पड़ोसी, छोटी यात्रा, लेखन कार्य, विभिन्न दस्तावेज, सोशल मीडिया आदि का विश्लेषण किया जाता है।
हम जानते हैं कि कुण्डली विश्लेषण में कालपुरुष की कुण्डली की महत्ता अनंत है। कालपुरुष की कुण्डली के बिना किसी भी कुण्डली का अध्ययन कभी पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता।
तुला लग्न या राशि के तीसरे घर में कालपुरुष की कुण्डली का नौवां घर धनु राशि है। इसी राशि से कालपुरुष के धर्म, भाग्य, पिता और उच्च शिक्षा का विश्लेषण किया जाता है।
तुला लग्न या राशि के तीसरे घर में कालपुरुष की कुण्डली के नौवें या भाग्य के घर की स्थिति द्वारा, उस लग्न या राशि के जातक-जातिकाओं के तीसरे घर के विषयों द्वारा भाग्य की संरचना को इंगित किया जाता है। अर्थात्, कार्यक्षेत्र में छोटे भाई-बहनों का सहयोग, पड़ोसी के साथ जुड़े कार्य, छोटी-छोटी यात्राओं से संबंधित कार्य, लेखन कार्य जैसे विभिन्न दस्तावेज तैयार करना, सोशल मीडिया से जुड़े कार्य करने पर कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
हालांकि, उपरोक्त वर्णित कार्य तभी पूर्णता प्राप्त करते हैं, जब कालपुरुष के भाग्यस्थान का अधिपति की विशेषताओं को उन कार्यों से जोड़ा जाए।
कालपुरुष के नौवें घर का अधिपति या तुला लग्न या राशि के तीसरे घर का अधिपति देवगुरु बृहस्पति हैं। बृहस्पति धर्म, ज्ञान और उच्च शिक्षा के कारक होते हैं। इसलिए तुला लग्न या राशि के जातक-जातिकाओं को अपने तीसरे घर के किसी भी कार्य के साथ बृहस्पति की विशेषताओं को जोड़कर कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करनी चाहिए।
अर्थात्, सफलता प्राप्ति के लिए धर्म, ज्ञान और जो भी उच्च शिक्षा प्राप्त की है, उसे अपने कार्य में शामिल करके कार्य करें। इस तरह से तुला लग्न या राशि के जातक-जातिकाओं का जीवन का श्रम सार्थक होता है और भाग्य की संरचना में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती।
यदि धर्म, ज्ञान और अपनी प्राप्त उच्च शिक्षा का कार्यक्षेत्र में उपयोग नहीं किया जाता है, तो जीवन की मेहनत कभी भी सार्थक नहीं हो सकती।
इसलिए तुला लग्न या राशि के जातक-जातिकाओं को ईश्वर प्रदत्त धर्म, ज्ञान और उच्च शिक्षा के साथ कार्य करना चाहिए। आपका मेहेनत सफल होगा और सफलता की सीढ़ियाँ आपके कदमों में आएंगी।
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